अयोध्या। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या फिर छली गयी । राममन्दिर निर्माण की न तारीख तय हुई न ही दिशा तय हुई । युवाओं को उम्मीद थी कि विवाद समाप्त होने की कोई लकीर खींची जाएगी । संत धर्माचार्य सौहार्द और तरक्की के रास्ते खोलेंगे, मगर सवालों के और उलझने से उदासी ही हाथ लगी । यही वजह रही कि चढ़ते सूरज के साथ रामनगरी में उमड़ा भक्तों का जोश दोपहर बाद ढलने लगा था, अंधियारा होते ही न कहीं जय श्री राम का उद्घोष था न मंदिर बनाने को लेकर ललकार ही सुनाई दे रही थी ।
सड़कों पर सिर्फ पुलिस फोर्स के बूटों की आवाज, सायरन, वायरलेस के शोर और जहाँ तहाँ झंडे और डंडे बिखरे दिख रहे थे । किसी अनहोनी की आशंका से हर कोई सशंकित था, मगर एक विश्वास जरूर था कि जैसे ही सूरज ढलने को होगा, धर्मसभा से एक नई सुबह का संदेश जरूर आएगा । परन्तु अयोध्या के भाग्य में फिर निराशा ही हाथ लगी । अलबत्ता चंपत राय ने पूरी जमीन चाहिए, बंटवारा नहीं का नया एलान कर धर्मसभा को फिर एक नए विवाद में डाल दिया । हिन्दू पक्षकार निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेंद्रदास, महंत धर्मदास सवाल उठाते फिर रहे हैं कि अब क्या राममंदिर संत नहीं बनाएंगे ? विहिप कब्जा करेगी, क्या विहिप के पास अयोध्या की करोड़ों कीमत की जमीनें कम हैं ? मुस्लिम पक्षकार इकबाल अन्सारी व हाजी महबूब सीधे कोर्ट में आने की धमकी दे रहे हैं । धर्मसभा से लौटे फतेहपुर के साधु शिवनंदन कहते हैं कि यही धर्मादेश सुनाना था ? क्या हम सब सियासत को सींचने के लिए बने हैं ?
उरई से आए एबीवीपी के प्रदेश मन्त्री राजा चौहान बोले कि मंदिर की तारीख बताना तो दूर आगे क्या होगा यह तक नहीं पता चला । अयोध्या के महेंद्र शुक्ला कहते हैं कि सब भाजपा के तारीफ में जुटे थे । साकेत महाविद्यालय के छात्र अजय मिश्र कहते हैं कि अयोध्या शांत हो जाती तो हमारी परीक्षाएं न छूटती न ही हमेें नौकरी के लिए भटकना पड़ता । अवध विश्वविद्यालय की योगा छात्रा अंजू गुप्ता का कहना है कि इतनी बड़ी पर्यटन नगरी होते हुए भी बार – बार भीड़ जुटाकर डराने से हमारा तो रोजगार ही छिन जाएगा । हाल फिलहाल अयोध्या फिर शांत है और थोड़ी उदास भी ।