कुमारगंज, अयोध्या। फसल अवशेष के निस्तारण की समस्या से निजात दिलाने के लिए आचार्य नरेंद्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय किसानों को प्रशिक्षित करेगा।निदेशक प्रसार डॉ. एपी राव ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने विश्वविद्यालय को सात कृषि विज्ञान केंद्रों पर फसल अवशेष प्रबंधन परियोजना के तहत प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी सौंपी है। हैदरगढ़, आजमगढ़, जौनपुर, सिद्धार्थनगर, महराजगंज, बहराइच और चंदौली जनपद के किसानों को जागरूक किया जाएगा। पुआल न जलाने के लिए किसानों को पूसा डि-कंपोजर नामक दवा की जानकारी दी जाएगी।
बताया जाएगा कि 20 रुपये की इस दवा के छिड़काव से एक बीघा पुआल को सड़ कर नष्ट होने में एक से दो सप्ताह का वक्त लगेगा। इसके अलावा किसानों को गोष्ठी के माध्यम से विभिन्न आधुनिक कृषि उपकरणों से प्रबंधन का तरीका बताया जाएगा। खेत में पुआल जलाने से तेजी के साथ प्रदूषण फैलता है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। निदेशक प्रसार ने दावा किया कि दवा के इस्तेमाल से पुआल नष्ट होने के साथ ही खेत की गुणवत्ता भी सुधरेगी। दवा का पानी के साथ मिश्रण तैयार कर छिड़काव किया जाएगा।