Home अयोध्या मीडिया के चंद चाटुकार-दलालों के कुत्सित-कुटिल-कुरूप चक्रव्यूह में सिसकती पत्रकारिता 

मीडिया के चंद चाटुकार-दलालों के कुत्सित-कुटिल-कुरूप चक्रव्यूह में सिसकती पत्रकारिता 

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अमानीगंज-अयोध्या। लोकतन्त्र का चतुर्थ स्तम्भ कही जाने वाली मीडिया आज़ चंद चाटुकार दलालों के चंगुल में फंसी सिसकती नज़र आ रही है। आज़ के इस दौर में कुछ स्वयंभू तथाकथित पत्रकारों द्वारा की जाने वाली छीछालेदर से समस्त मीडिया जगत प्रदूषित हो रहा है। आलम तो यह है कि जो एक प्रार्थनापत्र तक स्वयं नहीं लिख सकते वे भी अपनी गाड़ियों पर प्रेस के स्टिकर चिपका कर गली कूंचों व छोटे शहरों से लेकर बड़े शहरों तक अपना भौकाल बनाते देखे जा रहे हैं।

अखबार तो अखबार, बड़े टीवी चैनल्स के तथाकथित बड़े पत्रकार भी अनावश्यक रूप से कभी देश द्रोहियों की वकालत करते तो कभी मज़हबी द्वेष तो कभी जातिगत द्वेष फैलाते नज़र आते हैं। ग्रामीण क्षेत्र हो या महानगरीय परिवेश, लगभग हर जगह कुछ दल्ले टाइप पत्रकार कुछ बाहुबली नेताओं, राजनैतिक व्यक्तियों तथा कई अन्य धनाढ्यों की जूठन चाटते नज़र आ रहे हैं। चाटुकार पत्रकार अक्सर नेताओं एवं व्यवसायियों के दर पर चंद टुकड़ों की आशा में मत्था टेकते नज़र आ रहे हैं। ऐसे तथाकथित पत्रकार निश्वार्थ निष्पक्ष पत्रकारिता पर कलंक मात्र साबित हो रहे हैं। बाजार या चौराहों पर चाय-पान की दुकानों पर ऐसे घोर पतित मानसिकता वाले चाटुकार पत्रकार दिन में दस बार अपनी औकात दिखाते नज़र आते हैं।

ऐसे मीडिया के चंद चाटुकार दलालों की वजह से सम्पूर्ण मीडिया जगत बदनाम हो रहा है, जो मीडिया के भविष्य के लिए भी घातक है। निश्वार्थ निष्पक्ष निडर पत्रकारिता एक मिशन है जो आवश्यकता पड़ने पर सिंहासन को भी डाटने का अधिकार रखती है। आज़ आवश्यकता है कि पत्रकार शासन प्रशासन एवं समाज में फैले भ्रष्टाचार को उजागर करके जनता के सामने लाये और राष्ट्र के विकास में अपनी निष्पक्ष कलम के द्वारा सार्थक योगदान करे।

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