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पेट दर्द को हल्के में लेना पड़ सकता है भारी : डॉ.वी.के. दूबे

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शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में उसके हर अंग की अहम भूमिका होती है। पैनक्रियाज़ भी हमारे पाचन तंत्र का एक ऐसा ज़रूरी हिस्सा है, जो कुछ खास तरह के एंजाइम का सिक्रीशन करके उसे दुरुस्त रखता है। इसके अलावा यह इंसुलिन नामक ऐसा ज़रूरी हॉर्मोन बनाता है, जो हमारे शरीर को डायबिटीज़ जैसी गंभीर बीमारी से बचाता है। अगर सही समय पर उपचार न किया जाए तो यही बीमारी भविष्य में हृदय रोग और किडनी संबंधी समस्याओं को भी जन्म देती है। ऐसे में हमारे लिए जानना बहुत ज़रूरी है कि शरीर का यह महत्वूर्ण अंग कैसे काम करता है और हमें इसकी देखभाल किस तरह करनी चहिए। इस बीमारी को लेकर जयदीप हॉस्पिटल के प्रबंध निदेशक डॉ. वी.के. दूबे से विस्तृत वार्ता हुई। उन्होंने बताया कि पैंक्रियाज यानि अग्नाशय कैसे काम करता है और उस बीमारी से बचने के लिये क्या उपाय करना चाहिये।
डा. दूबे ने बताया कि पैनक्रियाज़ (अग्नाशय) हमारे पाचन तंत्र का छोटा सा लेकिन अति महत्वपूर्ण अंग है। यह आंत, लिवर और स्टमक (आमाशय) के बीच स्थित होता है। इसकी लंबाई 6 से 10 इंच होती है। पैनक्रियाज़ में मुख्यत: दो ग्लैंड होते हैं, जो आपस में जुड़े होते हैं। इसका ज्‍यादातर हिस्सा एक्सोक्राइन कोशिकाओं से बना होता है, जो एंजाइम बनाती हैं। ये एंजाइम पैनक्रियाटिक डक्ट के माध्यम से पाचन तंत्र में प्रवेश करते हैं और खाने को पचाने में मददगार होते हैं। इसका दूसरा हिस्सा एंडोक्राइन कोशिकाओं से बना होता है, जो इंसुलिन बनाता है। वास्तव में पैनक्रियाज़ में असंख्य कोशिकाओं का समूह होता है, जिन्हें आइलेट्स कहा जाता है। इसमें बीटा-कोशिकाएं मौज़ूद होती हैं, जो भोजन करने के बाद इंसुलिन नामक आवश्यक हॉर्मोन का सिक्रीशन करती हैं। खून में मिलने के बाद यह हॉर्मोन शुगर लेवल को नियंत्रित और संतुलित रखता है। अर्थात यह शुगर को न तो बहुत ज्य़ादा बढऩे और न ही घटने देता है। इंसुलिन शुगर में मौज़ूद ग्लूकोज को अवशोषित करने के साथ मांसपेशियों को भी मज़बूत बनाती है। बताया कि पित्त की थैली में पथरी होना, धूम्रपान व शराब का सेवन, संक्रमण, स्वप्रतिरक्षित रोग, बिच्छू का जहर, चोट लगने व कुछ दवाईयों के सेवन से भी पैंक्रियाज खराब होने की संभावना होती है।
उन्होंने बताया कि खानपान की गलत आदतों और पर्यावरण में होने वाले रेडिएशन का बीटा कोशिकाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। नतीजतन वे उचित मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पातीं या फिर व्यक्ति का शरीर मौज़ूद इंसुलिन को सही ढंग से अवशोषित नहीं कर पाता तो इससे खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है। इसी वजह से लोगों को डायबिटीज़ टाइप-2 की समस्या होती है। ऐसे लोगों का पैनक्रियाज़ कम मात्रा में इंसुलिन बनाता है। इसके अलावा कई बार लोगों के पैनक्रियाज़ में सूजन भी हो जाती है। पेट में दर्द और उल्टी इसके प्रमुख लक्षण हैं। साथ ही बुखार, कमजोरी एवं सुस्ती होना, मांसपेशियों में दर्द होना, जी मचलाना, उल्टी होना, खाने के बाद पेट में दर्द होना, पेट छूने पर दर्द होना, लगातार पीठ पर दर्द होना, हल्का पीलिया होना, वजन कम होना, पीले भूरे रंग का पेशाब होना और पाचन ठीक ना होना इसके लक्षण हैं। अगर पैनक्रियाज़ स्वस्थ न हो तो इससे कैंसर होने की भी आशंका बढ़ जाती है। भोजन में अरुचि और तेज़ी से वज़न घटना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। ऐसी स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए सादा और संतुलित आहार अपनाएं। जैसे एक दिन में 20 ग्राम से अधिक वसा का उपयोग करने से बचना चाहिए। धूम्रपान एवं शराब से परहेज करना चाहिए, हाइड्रेट रखने के लिए अधिक पानी पीना चाहिए, मोटापा कम करें और व्यायाम करें, पित्त की थैली में यदि पथरी है तो उसका इलाज कराएं। जब भी पेट में दर्द या कमज़ोरी जैसे लक्षण नज़र आएं तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें।

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