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हल्ले द्वारिकापुर में विलखते पीड़ितों की पीड़ा के बीच जारी है स्वयंघोषित समाजसेवियों तथा यशस्वी नेताओं का कुत्सित राजनैतिक खेल

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मिल्कीपुर, अयोध्या। जनपद के इतिहास में अब तक के सबसे भयावह क्रूरतम काण्ड का गवाह रहा गांव हल्ले द्वारिकापुर आज अपनी बदहाली और बेचारगी पर रो रहा है । उक्त गांव में भूमि विवाद को लेकर वर्षों से चली आ रही दुश्मनी के चलते गांव के प्रधान देवशरण यादव की हत्या हो जाती है । हत्या का आरोप लगता है गांव के ही ईश्वरदत्त मिश्र व उनके साथी पर, पुलिस भी हत्यारोपियों को गिरफ़्तार करने के लिए सक्रिय हो जाती है और गांव पुलिस के जवानों से घिर जाता है । इसके बाद हत्यारोपियों के गांव पर प्रधान यादव के समर्थकों द्वारा हमला बोल दिया है, और जमकर ताण्डव किया जाता है, सात घरों को पेट्रोल छिड़ककर आग के हवाले कर दिया जाता है, ट्रैक्टर ट्राली, मोटरसाइकिलें, साइकिलें तथा पूरी गृहस्थी जला दी जाती है । पालतू पशु तक जला दिए जाते हैं । हत्यारोपियों के परिजन गांव छोड़कर भाग जाते हैं । और यह सब प्रशासन की मुस्तैद पुलिस के सामने होता है, प्रशासन मूकदर्शक बना रहता है ।
अब जब वापस आये पीड़ित मिश्र परिवार की तहरीर पर मीडिया व कुछ नेकदिल नेताओं के प्रयास से उपद्रवियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हो जाता है तथा पड़ोसी विधानसभा के उदार हृदय विधायक द्वारा पीड़ितों को आर्थिक तथा हर तरह की मदद मुहैया हो जाती है तो कुछ कुटिल नेताओं का राजनैतिक खेल अब शुरू हो चुका है ।
हल्ले द्वारिकापुर में जो भी हुआ और जो अब हो रहा है अत्यन्त दुःखद व निराशाजनक है । कुछ तथाकथित युवा हृदय सम्राट यशस्वी नेताओं व कुछ स्वयंभू समाजसेवियों द्वारा जो श्रेय लेने की होड़ मची है और कुछ महान नेताओं द्वारा समाज में जातिवाद का ज़हर घोलकर अमनभरी फ़िज़ाओं में आग लगाने का कुत्सित कार्य किया जा रहा है, अत्यन्त ही निन्दनीय है । और प्रशासन का मौन तथा जनपद के बड़के नेता का लुप्त होना भी निन्दनीय है ।

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