अयोध्या। भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या में रामलला का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। यहां पर देश के कोने-कोने से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। तड़के से ही अधिकांश श्रद्धालुओं ने सरयू नदी में स्नान किया।
इसके बाद सभी ने मंदिरों का रुख किया। मंदिरों में दर्शन-पूजन के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु अयोध्या की गालियों में विचरण कर रहे हैं। पूरी राम नगरी आज श्रद्धालुओं से पटी है। यहां पर आज बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन पर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम हैं। कल दोपहर १२ बजे जैसे ही भगवान श्रीराम प्रतीकात्मक रुप जन्म लेगे , वैसे ही मंदिरों में बधाइयों का दौर चलने के साथ वहां पर गीत की रसधारा बहने लगेगी।
पिछले चार दिन पूर्व से ही रामनवमी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। रामनवमी का त्यौहार प्रत्येक वर्ष चैत्र शुक्ल की नवमी तिथि को मनाया जाता है। हिंदु धर्म शास्त्रों के अनुसार आज के दिन ही भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था। रामनवमी का यह पर्व भारत देश में भगवान राम के प्रति आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। आज के दिन भगवान राम जन भूमि अयोध्या नगरी में राम जन्म उत्सव की धूम के चलते लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है।
अयोध्या नगरी में रामनवमी का पर्व बड़े ही श्रद्धा भाव से मनाया जा रहा है। सुबह से ही श्रद्धालु मंदिरों में प्रभु श्रीराम के दर्शन पूजन के लिए आ रहे हैं। इस अवसर पर भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में श्रद्धा का सागर उमड़ पड़ा है। लाखों की संख्या में श्रद्धालु देश के अलग-अलग जगहों से भगवान राम के लिए अयोध्या नगरी पहुंचे हैं।
ब्रह्म मुहूर्त में सूर्योदय के पहले से ही श्रद्धालु पवित्र सरयू नदी में आस्था की डुबकी लगा रहे थे। राम जन्मोत्सव का मुख्य आयोजन कनक भवन में हो रहा है। मंदिरों में बधाइयां गीत का गायन चल रहा है।
अयोध्या की सरयू नदी में भगवान श्री राम स्नान करने को आते थे और इसलिए हिंदू धर्म में इस नदी का महत्व काफी ज्यादा है। वहीं महत्व का वर्णन करते हुए रामचरित मानस में लिखा है-अवधपुरी मम् पुरी सुहावन। उत्तर दिश बह सरयु पावन।। यानी अयोध्या के उत्तर दिशा में उत्तरवाहिनी सरयू नदी बहती है। ऐसी कथा है कि भगवान राम ने अपनी लीला दिखाते हुए लक्ष्मण जो को एक बार बताया था कि सरयू नदी और अयोध्या नगरी इतनी पावन है। हर दिन सभी तीर्थ इसके दर्शन और स्नान के लिए आते हैं। सरयू नदी में स्नान करने मात्र से सभी तीर्थों में स्नान का पुण्य मिल जाता है।