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सनातन धर्म में कोई भी अतिशयोक्ति नही है, इसमें सब संभव है- रामानन्द महराज।

भदोही। पिलखुना गांव में आयोजित श्रीमद भागवत कथा ज्ञानयज्ञ में प्रवचनकर्ता पं रामानन्द महराज ने अपने प्रवचन के अन्तिम दिन में भगवान श्रीकृष्ण के आठ प्रकृति के रूपों अष्ट पटरानियों की कथा को विस्तार से बताया। महराज ने कहा सोलह हजार एक सौ कन्याओं ने जब भगवान को भौमासुर से मुक्ति के लिए पत्र लिखा तो सत्यभामा के पूछने के बाद भौमासुर का वध करके राजकुमारियों को मुक्त कर दिया लेकिन राजकुमारियों के निवेदन करने पर भगवान श्रीकृष्ण ने सभी कन्याओं की बात मानकर उनकी बात मानकर विवाह किया। महराज ने कहा कि लोग कृष्ण लीला में दोष देखते है जो अनुचित है। भगवान की लीला में दोष नही है। भगवान की सभी लीलाएं भक्तों के कल्याण के लिए होता है। भगवान की कृपा को न समझ पाने पर लोग अतिशयोक्ति कहते है। क्योकि सनातन धर्म में कोई भी अतिशयोक्ति नही है।

महराज ने कहा कि सूर्यवंश में यज्ञ के बिना पुत्र प्राप्ति और चन्द्रवंश में बिना युद्ध की शादी नही होती थी। कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के पुत्रों की संख्या एक लाख एकसठ हजार अस्सी थी और उनको पढाने के लिऐ तीन लाख आचार्य नियुक्त हुए। परिवार के बारे में बताया कि परिवार में छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना चाहिए। कोई ऐसा काम नही करना चाहिए जिससे परिवार में संदेह उत्पन्न न हो। क्योकि जब परिवार में आपसी संदेह उत्पन्न हो जाता है तो उस परिवार में प्रेम और शान्ति की कमी होने लगती है। दान अपने हैसियत के हिसाब से देना चाहिए। एक बार दिया गया दान फिर से दान नही देना चाहिए। प्रचवन में अनिरूद्ध के विवाह के दौरान भगवान शंकर और श्रीकृष्ण के युद्ध का वर्णन किया। इस मौके पर काफी संख्या में श्रोता मौजूद थे।

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