Home अयोध्या भ्रष्टाचार का गवाह बनी ह्वाइट इंक और क्रम संख्या 

भ्रष्टाचार का गवाह बनी ह्वाइट इंक और क्रम संख्या 

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कुमारगंज, अयोध्या। ट्रेनिग एसोसिएट के पद पर हुई नियुक्तियों में गोलमाल को लेकर कृषि विवि दशक भर बाद फिर चर्चा के केंद्र में हैं। विजिलेंस जांच में भ्रष्ट नियुक्तियों की बात सामने आने के बाद कृषि विवि के पूर्व कुलपति बीबी सिंह और तीन ट्रेनिग एसोसिएट (विषयवस्तु विशेषज्ञ फसल) के दामन पर दाग है। चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रतिभा का दमन करने वाला भ्रष्टाचार का यह खेल उजागर न होता यदि विवि के ही कर्मी विनोद कुमार सिंह उच्च न्यायालय न गए होते। गंभीर अनियमितता की गंध भांप न्यायालय ने भी विजिलेंस जांच का आदेश दिया। विजिलेंस जांच शुरू हुई तो भ्रष्टाचार के इस खेल का गवाह बनी दस्तावेज पर मौजूद सफेदा, स्याही और क्रम संख्या।

कृषि विवि में वर्ष 2001 से 2003 के बीच ट्रेनिग एसोसिएट के पद हुई नियुक्तियों को दस्तावेज पर मौजूद सफेदा, स्याही में भिन्नता और क्रम संख्या लिखने के तरीके ने संदिग्ध बनाया। 2017 में प्रकरण पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने दस्तावेजों में लीपापोती देख सरकार को जांच कराने का आदेश दिया। सरकार ने विजिलेंस से इसकी जांच कराई।प्रारंभिक जांच में दो साल तक जांच टीम दस्तावेज ही एकत्र करती रही, लेकिन वर्ष 2019 में विजिलेंस निरीक्षक विजय कुमार यादव ने दस्तावेजों की गहनता से पड़ताल की। उनकी जांच में पाया गया कि चयन समिति से लेकर प्रबंध समिति तक की सूची में सफेदा लगाने के साथ ही स्याही में भिन्नता और क्रम संख्या लिखने में भी गड़बड़ की गई है। इन शुरुआती साक्ष्यों ने पूरी प्रक्रिया को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया।यही नहीं जांच में पाया गया कि कुलपति बीबी सिंह ने सेवानिवृत्त होने के बाद नियुक्तियों से संबंधित अभिलेख विवि के किसी जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी के सुपुर्द न करके तत्कालीन वरिष्ठ सहायक ओमप्रकाश गौड़ की अभिरक्षा में दे दिये गये।

और कसेगा विजिलेंस का शिकंजा

नियुक्तियों में भ्रष्टाचार की जांच में विजिलेंस का शिकंजा और कसेगा। विजिलेंस की टीम जल्द ही कृषि विवि आ सकती है।विश्वस्त सूत्रों की माने तो इस मामले की कड़ियां तलाशने के लिए टीम विवि के कुछ जिम्मेदारों से भी पूछताछ कर सकती है।

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