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भारत में क्यों हिन्दुत्व है निशाने पर

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भारत मे हिंदुत्व और शुद्ध राष्ट्रवाद के कारण हमेशा विरोधियों के निशाने पर और हमेशा विवादो मे घिरी रहने वाली RSS मे पदाधिकारियों और सदस्यो मे सिर्फ हिंदु धर्म के अनुयायी नहीं वरन लगभग 7200 सिख धर्म के अनुयायी भी हैं,वही 10000 से ज्यादा सदस्य मुस्लिम भी है,कुछ जैन तो कुछ बौद्ध है!थोडे में ही सही लेकिन पारसी और सिंधी भी इसके सदस्य हैं तो पूर्वोत्तर भारत में कई ईसाई भी संघ के सदस्य हैं!

भारत तो दूर की बात है मुझे नही लगता कि पूरी दुनिया में ऐसी कोई सांस्कृतिक संस्था है जिसके सदस्यो मे दुनिया के सभी धर्मो के लोगो का समावेश है?आप को जानकर आश्चर्य होगा कि RSS सिर्फ हिंदुस्तान मे ही नही,दुनिया के 103 देशों में फैला हुआ है!
संघ द्वारा पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को निमंत्रण देने के दौरान मिडिया की चर्चा के बाद मुझे संघ के विषय मे और गहराई तक जानने का मौका मिला!

फेसबुक पर बेवकूफ़ तथाकथित मठाधीश की बात पढ सुन कर तो कई लोगो को ऐसा भ्रम हो जाता है कि यह ब्राहमणों के द्वारा बनाई गई कटटरपंथी हिंदु धर्म की संस्था है!शुक्र है कि प्रणव मुखर्जी का आगमन हुआ और चर्चा परिचर्चा में मुझे यह जानकारी मिली कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक शुद्ध राष्ट्रवादी संस्था है!

वैसे प्रणव मुखर्जी के निमंत्रण स्वीकार करने के बाद तो भाजपा को डरना चाहिए था कि संघ के मंच से यह कट्टर घुर कांग्रेसी न जाने भाजपा और संघ के बारे मे क्या गलत बयानी कर दे? लेकिन इसके उलट डर रही थी कांग्रेस …..चोर की दाढ़ी में तिनका !
अब तक मै जानता था कि भारत मे सबसे ज्यादा स्कूल ईसाई मिशनरियों के है लेकिन इस दौरान पता चला कि भारत मे सबसे ज्यादा स्कूलों का संचालन RSS करता है! उनसे दस गुना अधिक स्कूल है!

दुनिया मे संख्या और शाखा बल मे सबसे बडी संस्था RSS है,लगभग साठ हजार शाखाएं हैं!विरोधी कहते है कि संघी गांधी जी से नफरत करते है लेकिन पता चला कि हर सुबह शिशु मंदिर स्कूलो में महात्मा गांधी की प्रार्थना होती है!RSS दुनिया में आदीवासीयो के लिए काम करने वाली सबसे बडी संस्था है!

नाथूराम गोडसे 1930 तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का सदस्य था,उसके बाद उसने संघ छोड दिया था,30 जनवरी 1948 को गांधी जी के हत्या के शक मे शामिल होने के कारण बल्लभ भाई पटेल ने संघ को बैन कर दिया था,उस वक्त दुनिया को RSS के आस्तित्व का भान हुआ था लेकिन जुलाई 1949 को सबूतों के अभाव मे RSS पर से बैन हटा लिया गया!

1962 के भारत चीन युद्ध में संघ ने सरकार का साथ दिया,कंधे से कंधा मिलाकर नेहरू जी के साथ खडा था,जिससे खुश होकर नेहरु जी ने 26 जनवरी 1963 मे गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होने का न्योता दिया था!

26 ऑक्टोबर 1965 की वह भयावह रात कौन भूल सकता है,मजदूरो के अभाव मे भारतीय सेना के आवाह्न पर जब रात देढ बजे आनन फानन मे संघ के 600 से ज्यादा कार्यकर्ता एकजुट होकर बर्फ से ढके कशमीर हवाई अड्डे को लडाकू हवाई जहाजों के उतरने के लिए सिर्फ एक घंटे मे साफ कर दिया था वरना तो उस भारत पाक युद्ध की कहानी कुछ और होती !

प्रणव मुखर्जी RSS विवाद के दौरान यह बात भी पता चली कि RSS ने मई 1947 मे भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का विरोध किया था,संघ भगवा पताका के पक्ष मे था..लेकिन आजादी के बाद संवैधानिक रूप से तिरंगे को मान्यता मिलने पर वह हर स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर अपने मुख्यालय नागपुर मे इसे फहराता रहा है!संघ अपने मुख्यालय पर तिरंगा नही फहराता है, सिर्फ अफवाह मात्र है,यह संघ को बदनाम करने की साजिश हो सकती है ! 2002 मे सार्वजनिक रूप से तिरंगा फहराने संबंधित कानून पारित होने के बाद तो संघ के मुख्यालय पर हर रोज तिरंगा फहराया जाता है!

संघ के सदस्य चाहे किसी भी पद पर पहुंच जाएं लेकिन उनमे से ज्यादातर सदस्य कपड़े धोना और खाना पकाने जैसा काम खुद करते है!
RSS पर भारत मे आतंकवाद को छुप कर बढावा देने का इंतजाम कांग्रेस शासन मे कई बार लगा लेकिन साबित अब तक नही हो पाया है,उल्टे कांग्रेस शासन मे आतंकवाद के जुर्म मे गिरफ़्तार किये गये कई लोगो को बाद मे न्यायालयो ने बरी कर दिया या जमानत दे दी ! अब सच्चाई क्या है मुझे पता नही ?

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की कोई महिला शाखा नहीं है या ऐसा कह सकते है कि इस में कोई महिला सदस्य मनोनीत नही होती है,महिलाओ की राष्ट्र सेविका समिति को इसकी शाखा समझा जाता है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नही है दोनो की पहचान अलग अलग है,मगर इनमे आपसी समझौता जरूर है!

दुनिया मे बाढ़,भूकंप, युद्ध,प्राकृतिक आपदाओं के समय राहत कार्य के लिए RSS बढ चढ़ कर हिस्सा लेता है,प्राकृतिक आपदाओं मे राहत कार्य करने के लिए यह दुनिया की सबसे बडी संस्था है।

हिंदु धर्म को त्याग कर दुसरे धर्मो मे गये लोगो को फिर से हिंदु धर्म मे वापसी करवाने के लिए यह संस्था कई बार विवादो में घिर चुकी है!…वैसे विरोधियों का ऐसा अनुमान है कि पिछले दस सालों मे लगभग सात लाख मुस्लिमो की इस संस्था ने घर वापसी कराई है अर्थात सात लाख मुस्लिमो ने इस्लाम का त्याग करके हिंदु बने है!लगभग पचास हजार आदीवासी जो ईसाई बन गये थे उनको समझा बुझा कर फिर से हिंदु धर्म मे स्थापित किया!

ऐसा समझा जाता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक राष्ट्रवादी सांस्कृतिक संगठन है,जो हिंदुत्व के लिए काम करती है! हिंदुत्व के लिए RSS और भारतीय संविधान की परिभाषा एक ही है!…..भारत मे रहने वाले सभी नागरीक हिंदु है,हिंदुत्व जीने की एक परंपरागत तरीका है !….वैसे अब हिंदुत्व को धर्म की संज्ञा मिल चुकी है!संवैधानिक रूप से बात करे तो दुनियां में हिदुस्तान का भी कोई अस्तित्व नहीं है।
फ़ेसबुक पर मेरे निजी अनुभव की बात करें तो सबसे ज्यादा उछल कुद और उधम मचाने वाले तथाकथित संघी और मुसंघी ही होते है…वो कहते है ना चाय से ज्यादा केटली गरम होती है!..

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