Home गुजरात 02 सितंबर को क्‍यों रखें हरतालिका तीज का व्रत?:ज्योतिषाचार्य आशुतोष मिश्र

02 सितंबर को क्‍यों रखें हरतालिका तीज का व्रत?:ज्योतिषाचार्य आशुतोष मिश्र

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ज्योतिषाचार्य डा०आशुतोष का मानना है कि हरतालिका तीज का व्रत 1 सितंबर की बजाए 2 सितंबर को रखा जाना चाहिए। उनका तर्क है कि ग्रहलाघव पद्धति से बने पंचांग के अनुसार 2 सितंबर को सूर्योदय के बाद सुबह 9 बजकर 01मिनट तक तृतीया तिथि रहेगी और फिर चतुर्थी लग जाएगी। यानी कि तृतीया तिथि में सूर्योदय होगा। इसके अलावा निर्णय सिन्धु के मतानुसार:

मुहुर्तमात्रसत्वेपि दिनं गौरीव्रतं परे |
शुद्धाधिकायामप्येवं गणयोग प्रशंसनात् ||(इति माधवोक्ते )

चतुर्थी सहिता या तु सा तृतीया फलप्रदा |
अवैधव्यकरा स्त्रीणाम् पुत्रपौत्र प्रवर्धनी ||(इति माधव,आपस्तम्ब)

चतुर्थी युक्‍त तृतीया को बेहद सौभाग्‍यवर्द्धक माना जाता है। ऐसे में 2 सितंबर को तृतीया का पूर्ण मान, हस्त नक्षत्र का उदयातिथि योग और सायंकाल चतुर्थी तिथि की पूर्णता तीज पर्व के लिए सबसे उपयुक्‍त है। तर्क यह भी है कि हस्‍त नक्षत्र में तीज का पारण नहीं करना चाहिए। जो महिलाएं 1 सितंबर को व्रत रखेंगी उन्‍हें 2 सितंबर को तड़के सुबह हस्‍त नक्षत्र में ही व्रत का पारण करना पड़ेगा, जो कि गलत है। वहीं अगर महिलाएं 2 सितंबर को व्रत करें तो वे 3 सितंबर को चित्रा नक्षत्र में व्रत का पारण करेंगी। पुराणों में चित्रा नक्षत्र में व्रत का पारण करना शुभ और सौभाग्‍यवर्धक बताया गया है।

आजकल अधिकान्श व्रतो मे असमंजस की स्थिति उत्पन्न् होने का मुख्य कारण डा० आशुतोष मिश्र जी ने पंचान्गो की गणितीय पद्धति को बताया। वाराणसी से छपने वाले पंचान्ग ग्रह-लाघव, मकरंद और सूर्यसिद्धान्त के अनुसार होते है जबकि आज कल अधिकान्श पंचान्ग दृश्यसिद्ध गणित केतकीय पर आधारित है। अत: दोनो की गणनाओ मे 4-5 घंटो का अन्तर हो जाता है। व्रत आदि के लिए धर्मप्राण जनता से मेरा अनुरोध है कि आप आर्ष मतानुसार प्रतिपादित पंचान्गो का अनुसरण करे।

 

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