Home भदोही मादक पदार्थों में फंसती युवा पीढ़ी

मादक पदार्थों में फंसती युवा पीढ़ी

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फोटो साभार गूगल

आनंद पांडेय 

भारत की संस्कृति में एक आदर्श समाज की संकल्पना की गई है। आज हमें दादा दादी और परिवार से उच्च शिक्षा मिलती थी उससे बच्चे वंचित रह गए है। आधुनिकता के दौर ब्यसत्ता में माता पिता भी उचित समय नहीं दे पा रहे है। परिवार की एक शिक्षा और माता पिता का डर दादा दादी के दिए संस्कार हमें गलत ब्यशन में जाने से रोकते थे।

आज नई पीढ़ी इस सब से दूर होती जा रही है। पश्चिमी सभ्यता हमारे देश के युवाओं को आकर्षित करती जा रही है। नशाखोरी में बहुत बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। आज स्कूल कॉलेज में इसका चलन बहुत तेजी से चला है। महानगरों में दसवीं बारहवीं के बच्चे अफीम चरस दारू का सेवन धड़ल्ले से कर रहे हैं। मुम्बई देल्ही में हुक्का बार पब डांस बार अदि में नशा करते युवा पीढ़ी बड़ी संख्या में मिलेंगे।

नशा एक ऐसी समस्या है जिससे परिवार तो खत्म हो रह है और समाज भी दूषित हो रहा है!बढ़ता अपराध गरीबी घरेलु हिंसा स्वास्थ इन सब की बड़ी समस्या नशा है। एकाकी होना परिवार से विमुक्त होना कारण बनता जा रहा है और महँगे मादक पदार्थों के लिये पैसा न मिलने पर अपराध करने लगते है। मनोचिकित्सकों का कहना है कि बदलती जीवनशैली इन्टरनेट एकाकी होना पारिवारिक दूरियां अदि इसके मुख्य कारण है। इससे निजात पाने के लिए परिवार की अहम् भूमिका और सरकार की नशे की तस्करी नशाखोरी के विरुध्य अभियान चलाना होगा। लोगों के बीच जनचेतना लाना होगा।

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  1. अपने लेख द्वारा सुंदर तस्वीर पेश किया आपने, हर शब्द आधुनिक समय में चरित्रार्थ है, इस दलदल से निकलकर अपने दादाजी के संस्कार का आदर्श चरित्र चित्रण का अनुसरण ही हमे प्रमाणित कर संस्कृति का परिचय कराया.

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