तिरछी नज़र …. बड़ी बड़ी कड़ाहियों में
बड़ी बड़ी कड़ाहियों में छोटे छोटे चम्मच,
छिछोरी अदा के साथ यूँ मचल रहे हैं ।
राजनैतिक बाप ने पकड़ा दी है लॉलीपॉप,
बचकाने बन बन्दर से...
सबके सहयोग बिना गंगा को निर्मल बनाना कठिन
संतोष कुमार तिवारी
किसी भी वन्य जीव जन्तु को पालना गैरकानूनी है, नदियों की जैव विविधता बना़ये रखना हम सब की जिम्मेदारी है, यह बात...
काव्य संकलन “रूबरू जिंदगी से” का लोकार्पण एवं काव्यसंध्या समारोह संपन्न
ठाणे(महाराष्ट्र)
भारतीय जन भाषा प्रचार समिति ठाणे एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद महाराष्ट्र के तत्वावधान में दिनांक 20 अक्तूबर दिन शनिवार को मुन्ना विष्ट कार्यालय...
हिचकते हुए मिले थे जिनलोगों से, क्या पता वहीं लोग मायने बन जाएगें
मुम्बई। कल्याण पश्चिम के सर्वोदय गार्डेन परिसर स्थित विनायक मंगल हाँल में रविवार को कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें हास्य व वीर...
व्यंगबाण : लगन तपस्या बनी रही तो 2019 दूर नहीं
मामा को भान्जों ने लूटा, रानी लूट गयी चाल में।
डाक्टर खुद पेसेन्ट हो गए, भाजपा आज रसताल में।
भाजपा रसताल में, इज्जत बच गयी इवीएम...
लघुकथा: सतत योग-अलका पाण्डेय
हमारे मोहल्ले में एक मात्र मेडिकल स्टोर था
मेडिकल स्टोर का मालिक अरुण बाबू बहुत ही रुखे स्वभाव के इंसान थे आजतक किसी से उन्होने...
वह छोटी सी बच्ची
कोमल मन और शांत सा चेहरा
कुछ सकुचाता, शर्माता चेहरा ।
भगवान को मानने वाली और भावुक भी थी ,
अच्छा सीखने वाली और खूब खेलने...
” मैं बेटी हूँ मैं ” बेटी सूरज के समान प्रकाशीत बनूंगी ।
" मैं बेटी हूँ मैं " बेटी सूरज के समान प्रकाशीत बनूंगी ।
" मैं बेटी हूँ मैं " बेटी हर तनहाई से लडूंगी ।
" मैं बेटी हूँ...
सुन लॉकडाउन, तू मुझे तोड़ नहीं पायेगा
माना की मैं कमज़ोर हूँ, तेरे डरने से डरा हूँ ,
पर इतना नहींं, की तू मुझे यूँ ही रौंद जायेगा,
सुन लॉकडाउन, तू मुझे तोड़...
आज का गाँव परदेशी की नजर से
मैं और मेरा गाँव अतीत के आईने से
गाँव की गलियों और बगीचों में
खेत में, खलिहानों में खाली पड़े मैदानों में ,
खेलते कूदते अटखेलियां करते...